Major pests, diseases and their prevention of paddy (Part-2)
4. Leaf twister (Neptonecrosis medinalis)
* How to identify: The leaf is white and thin like paper and turns inward. These leaves dry up and the whole field becomes white in shape.
* How crop damage? The larvae of the leaf fold hide the leaves inside it and keep eating the green colored cells, as a result of which the leaves become white and paper-like.
* Prevention Measures: Spraying of Monocrotophos 36 EC 1.3 ltr or Quinalphas 25 EC 2 ltr or Phosphomidan 85 EC 0.6 ltr or Cypermethrin 26 EC 1 ltr per hectare at the time of plant pregnancy can get rid of this worm.
5. Brown Spud of Paddy:
* How to recognize? Where the plant completely dries up in patches and the field is completely seen from a distance, it seems that everywhere it has been burnt.
* How to control: Spray Monocrotophos 36 EC 1.3 ltr, Quinalphas 25 EC 2 ltr, Chloropyriphas 25% 2.5 ltr, or Imidachloropid 70% WP 200 g per hectare if the number of insects is 10 per hill.
6. Green Spud of Paddy (Nifotetics Viricens)
* How to recognize? The plant sucks the leaves and the plant dries up and dies.
* How crop damage? The young and adult insects suck the sap of the leaves. This worm is a major medium of transmission of Rice Tungruvirus. Due to which the loss of crop is very high. This insect comes a lot during Diwali. This worm is found very much in Jharkhand but Rice Tungru disease was not seen.
* How to prevent: If the number of insects is 10 per hill, then at the time of bud break or flowering, granular drug Evisect 5 C. 40 kg/ha, Mipsin 50 WP 1 ltr or Monocrotophos 1.3 ltr/ha or Buprophenazine 5% EC Spray at the rate of 500 ml per hectare.
7. Bucky pest of paddy (Nymphula dipunctalis)
* How to recognize: Eggs cut off the upper part of the leaves and make the same leaves round and make the shape of tube and live in them, which keep floating in the water.
* How the crop damages: Eggs move from one place to another with the case of the tube in round shape and damage other plants by cutting, the whole field looks like a white sheet because all the green leaf cells gets eaten.
*Prevention Measures: 1. Drain the water from the field if possible. 2. Spray Landsahalothrin 5% EC 0.750 ltr or Monocrotophos 36 EC 1.3 ltr per hectare.
8. Thrips
Humid and cloudy weather with a few equal drops of water helps a lot in the growth of this worm. Due to the effect of this, some grains of the earrings turn white and they take the form of Khakhari, in case of more severe attack, the whole hair becomes white and all the grains turn into Khakhari.
* How to damage the crop: The infant and adult insects eat the top bud of the plant and oval spots and brownish spots are formed on the lema and jaundice. Due to which the whole hair looks white and brown.
* Prevention: Spraying of Cypermethrin 25 EC @ 1 ltr per hectare or Imidachloropid 70% WP @ 200 gr/ha can get rid of this worm.
9. Termites:
* Identification: The size of this insect is bigger than the ant, it is white in color. It lives in the lower surface of the ground. When the plants grow after germination, these worms cut the roots of the plants, due to which the whole plant dries up.
* Prevention : 1. Insecticide drug Fioradan 30 kg/ha should be given at the time of sowing. 2. Sow chloropyriphos mixed with 3.75 ltr/100 kg seed. 3. Spraying of Bifenthrin 10% mixed with 2.5 ltr 10 kg of sand per hectare.
10. Insects involved in storage:
* The following four main bugs are:
1. Ngoyumois Grain Moth
2. Rice Split
3. Rice Moth
4. Laser Grain Borer
* How to identify: Make a hole in the grains, as a result of which the powder gets deposited on the grains and smells like rot from the grains.
* How to harm: Insects eat the stored seeds or the food inside the grains, as a result of which the grains get spoiled.
* How to prevent: 1. Dip the jute sack into Malathion 50 EC 5 ML/20 ltr water after making a solution and dry it and then keep the seeds or seeds in it. 2. Make a solution of insecticide Malathion 50 EC or Fenterothion 50 EC in 5 ml of water to the area where the seeds are to be kept and spray it at 20 ml per square mtr area. 3. Treat the seed with Malathion 2 ml/kg seed. 4. Mix the seed with 2 kg of vermilion/neem leaves per quintal.
धान के प्रमुख कीट, बीमारियां एवं उनकी रोकथाम। (Part-2)4. पत्ती मोड़क (नेफ्टनोक्रोसिस मेदिनेलिस)
* कैसे पहचाने : पत्ती सफ़ेद तथा कागज की तरह पतली एवं अंदर की तरफ मुड़ जाती है. ये पत्तियां सूख जाती है तथा पूरा खेत सफेद आकर का हो जाता है.
* फसल का कैसे नुकसान? पत्ती मोड़क के लार्वी पत्तियों को मोड़क उसी के भीतर छुप कर रहते है तथा हरे रंग के कोशिकाओं को खाते रहते हैं जिसके फलस्वरूप पत्तियां सफेद तथा कागज की तरह हो जाती है.
* रोकथाम के उपाय: पौधों की गर्भावस्था के समय मोनोक्रोटोफास 36 EC 1.3 ltr या क्वीनलफास 25 EC 2 ltr या फास्फोमिडान 85 EC 0.6 ltr या साइपरमैथरीन 26 EC 1 ltr प्रति हेक्टर की दर से छिड़काव करने से इस कीड़े से छुटकारा मिल सकता है.
5. धान का भूरा फुदका:
* कैसे पहचाने? पौधे पूरी तरह जहाँ तहँ चकतों में सूख जाती है और खेत पूरी तरह दूर से देखने पर लगता है की जहाँ-तहाँ जल गया हे.
* रोकथाम कैसे करें: यदि कीड़ों की संख्या 10 प्रति हिल हो जय तो मोनोक्रोटोफास 36 EC 1.3 ltr, क्वीनलफास 25 EC 2 ltr, क्लोरोपायरीफास 25% 2.5 ltr, या इमिडाक्लोरोपिड 70% WP 200 gr प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
6. धान का हरा फुदका (निफोटेटिक्स विरिसेन्स)
* कैसे पहचाने? पौधे के पत्तों को चूसता है तथा पौधा सूख कर मर जाता है.
* फसल कैसे नुकसान? शिशु तथा वयस्क कीड़े पत्तियों की कोशिकाओं के रस को चूस लेते हैं. यह कीड़ा राइस टुंगरुवाईरस के प्रसारण का बहुत बड़ा माध्यम है. जिससे फसल का नुकसान बहुत ही ज्यादा होता है. यह कीड़ा दीपावली के समय बहुत आता है. झारखण्ड में यह कीड़ा बहुत ही ज्यादा पाया जाता है लेकिन राइस टुंगरु बीमारी नहीं देखि गई.
* रोकथाम कैसे करें: यदि कीड़ों की संख्या 10 प्रति हिल हो जय तो कल्ले फूटने के या फूल आने के समय दानेदार दवा इविसेक्ट 5 सी. 40 kg/हेक्टेयर, मिपसीन 50 WP 1 ltr या मोनोक्रोटोफास 1.3 ltr/हेक्टेयर या बुपरोफेनजीन 5% EC 500 ml की दर से प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें।
7. धान का बॉकी कीट (निम्फुला दीपंकटेलिस)
* कैसे पहचाने : अंडे पत्तियों के ऊपरी भाग को काट देते है तथा उसी पत्तियों को गोल आकर टियूब का आकर बना कर उसी में रहते है, जो पानी में तैरते रहते है.
* फसल का नुकसान कैसे: अंडे गोल आकर ट्यूब के केस के साथ एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते है तथा दूसरे पौधो को काट कर नुकसान पहुंचाते है, पूरा खेत सफ़ेद रंग की चादर की तरह दिखाई देता है क्योंकि सभी हरे पत्तों के कोशिकाओं को खा जाते है.
* रोकथाम के उपाय: १. खेत से पानी को यदि संभव हो तो निकल दें. २. लैंडसैहेलोथ्रिन 5% EC 0.750 ltr या मोनोक्रोटोफास 36 EC 1.3 ltr प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
8. थ्रिप्स
आद्र तथा बादल के साथ कुछ बराबर पानी की बूँदें वाला मौसम इस कीड़े के बढ़ने में काफी मदद करता है. इस के प्रभाव से बालियों के कुछ दाने सफ़ेद हो जाते हैं तथा वे खखरी के रूप ले लेते हैं, ज्यादा गंभीर आक्रमण होने पर पूरी बालियान सफ़ेद तथा सभी दाने खखरी में बदल जाते हैं.
* फसल को कैसे नुकसान: शिशु तथा वयस्क कीड़े पौधे के शिखर कलिका को खाते है तथा लेमा व पीलिया के ऊपर अंडाकार धब्बे तथा भूरा चाक्तिदार आकर बन जाते है. जिससे पूरी बालियान सफ़ेद तथा भूरी दिखाई देती है.
* रोकथाम: साइपरमेथ्रिन 25 EC 1 ltr प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें या इमिडाक्लोरोपिड 70% WP 200 gr प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करने से इस कीड़े से छुटकारा मिल सकता है.
9. दीमक :
* पहचान : इस कीड़े का आकर चींटी से बड़ा होता है, यह सफ़ेद रंग का होता है. यह जमीन के निचली सतह में रहता है. अंकुरण के बाद जब पौधे बड़े होते हैं तो यह कीड़ा पौधों की जड़ों को काट देते हैं, जिससे पूरा पौधा सूख जाता है.
* रोकथाम : 1. कीटनाशक दवाई फ्योराडान 30 kg/हेक्टेयर बुआई करते समय देना चाहिए. 2. क्लोरोपायरीफास 3.75 ltr/100 kg बीज में मिलाकर बुआई करें. 3. बाइफेंथ्रीन 10% का 2.5 ltr 10 kg बालू के साथ मिलाकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें.
10. भण्डारण में लगने वाले कीड़े :
* निम्नलिखित चार कीड़े मुख्य है:
1. एनगोयुमोइस ग्रेन मोथ
2. राइस विभिक्त
3. राइस मोथ
4. लेजर ग्रेन बोरर
* कैसे पहचाने : दानो में छेद कर देना, जिसके फलस्वरूप दानो के ऊपर पाउडर की तरह जमा हो जाता है और दानो से सड़न जैसे गंध आजाती है.
* कैसे नुकसान : कीड़े भंडारण किये बीज को या दानो के भीतर भोजन को खा जाते हैं, जिसके फलस्वरूप दाने ख़राब हो जाते है.
* रोकथाम कैसे करें: 1. जुट के बोरे को मैलाथियान 50 EC 5 ML/20 ltr पानी को घोल बना कर उसमे डुबोएं तथा सुखाये और उसके बाद उसमे दानो या बीजो को रखें. 2. जहाँ पर बीजों को रखा जाये उस छेत्र को कीटनाशी दवाएं मैलीथियन 50 ec या फेंटरोथियन ५० EC 5 ml पानी में घोल बना लें इसे 20 ml प्रति वर्ग mtr छेत्र में छिड़काव करें। 3. बीज को मैलाथियान 2 ml/kg बीज के साथ उपचार करें। 4. बीज को प्रति क्विंटल सिंद्वार/नीम के 2 kg पत्तों के साथ मिलाकर रखें.
bahut acha blog banaya hai bro.
ReplyDeletenicccccc
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